भारत को मिला एक बहूत बड़ा ख़ज़ाना, जिसे चीन को बहूत बड़ा नुकसान होने वाला है.?
भारत को समुद्र में मिला एक बहूत बड़ा ख़ज़ाना, जिसे चीन को बहूत बड़ा नुकसान होने वाला है.?
भारत बहुत जल्द हिंद महासागर में तमिलनाडु के तट से हजारों किलोमीटर दूर करोड़ों डॉलर के खजाने की खुदाई शुरू करने जा रहा है।( India got a huge treasure in the sea, which is going to be a big loss to China.?) बेशकीमती धातुओं से भरा यह खजाना मध्य हिंद महासाहर में समुद्र तल से 6 किलोमीटर की गहराई में मौजूद है। जाहिर है कि इसकी खुदाई के लिए अत्याधुनिक तकनीक की आवश्यकता है और उस दिशा में काम शुरू हो चुका है। भारत के लिहाज से बड़ी बात यह है कि जो मिनरल वहां पर मौजूद हैं, उनमें से कई के आयात पर हर साल करोड़ों डॉलर खर्च हो जाते हैं; और उससे भी बड़ी बात ये है कि कई मिनरल तो ऐसे हैं, जिसपर चीन ने लगभग नियंत्रण बनाकर रखा है।
India got a huge treasure in the hind mahasagar sea
कितना पैसा खर्च होगा भारत का इस खुदाई पर
इसकी खुदाई का काम 4,077 करोड़ रुपये के डीप ओशन मिशन का हिस्सा है, जिसके एक बड़े हिस्से की मंजूरी केंद्रीय कैबिनेट ने पिछले हफ्ते ही दी है। इसके तहत 2024-25 तक एक डीप माइनिंग सिस्टम तैयार होना है। इसकी खुदाई के लिए जो ब्लूप्रिंट तैयार किया गया है, उसमें समंदर में गड़े हुए खजाने की खुदाई के लिए 6,000 मीटर (6 किमी) पनडुब्बी मशीन भेजने की योजना है, जिसमें दो वैज्ञानिक और एक पायलट भी होंगे। इसके अलावा समंदर की सतह तक वाराह-1 जैसी कई मशीनें भेजी जाएंगी, जिससे बेशकीमती धातु को समंदर की सतह या उसके नीचे से निकालकर पंप करके ऊपर जहाज तक भेजा जाएगा। इस मिशन के पहले चरण (2021-24 ) के लिए 2,823 करोड़ रुपये निश्चित किए गए हैं।
कहा पर मौजूद है ये ख़ज़ाना
यह खजाना मध्य हिंद महासागर में चेन्नई से जहाज से एक सप्ताह के सफर के बाद मिला है। पिछले अप्रैल में यहा तक चेन्नई से करीब दो दर्जन वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और तकनीशियनों का एक दल एक स्वदेशी माइनिंग मशीन वाराह-1 लेकर पहुंचा था। इस मशीन को समंदर की सतह तक ले जाया गया और वहां पर बेशकीमती खनिज संपदा का अकूत भंडार मिला। अब इसकी खुदाई में प्राइवेट सेक्टर की मदद लेने की भी तैयारी है। समंदर के जिस इलाके में यह खनिज संपदा पाई गई है, उसके 75,000 वर्ग किलोमीटर के इलाके में भारत का एकाधिकार है और 2002 में यूनाइटेड नेशन की संस्था इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी (आईएसए) ने उसे भारत को आवंटित किया हुआ है।
समंदर में मिले खजाने में क्या है ?
अनुमानों के मुताबिक समंदर की सतह और उसके नीचे करीब 38 करोड़ टन पॉलीमेटलिक नोड्यूल्स पड़े हैं, जिसमें कई तरह के खनिज शामिल हैं। इसमें 0.47 करोड़ टन निकल,0.429 करोड़ टन कॉपर, 0.055 करोड़ टन कोबाल्ट और 9.259 करोड़ टम मैगनीज दबे हुए हैं। भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक इसके अलावा बहुत बड़ी मात्रा में लौह अयस्क भी यहां मौजूद हैं। इस वक्त भारी इंजीनियरिंग उद्योग जैसे की बीएचईएल और एल एंड टी इस प्रोजेक्ट के छोटे-मोटे कार्यों से जुड़े हुए हैं।
जानिए कितनी है मार्केट वैल्यू इस खजाने
सरकार ने अनेक स्रोतों से इस अकूत खनीज संपदा के कुल मूल्य का जो आकलन किया है, उसके अनुमानों में अंतर है। यह आंकड़ा 4,500 करोड़ डॉलर से लेकर 18,500 करोड़ डॉलर के बीच है। लेकिन, मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस ने जो अनुमान सार्वजनिक किया है, उसके मुताबिक यह खनिज का खजाना औसतन कम से कम 11,000 करोड़ डॉलर का है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव और बेंगलुरु स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज के डायरेक्टर शैलेष नायक ने ईटी से कहा है कि इलेक्ट्रोनिक युग में निकल और कोबाल्ट बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। उनके मुताबिक 'हमें इस तरह से सोचना चाहिए कि इन बेशकीमती धातुओं की प्रोसेसिंग और पैकेजिंग का काम जहाज पर ही हो जाए, ताकि उसे करीब 3,000 किलोमीटर दूर तट पर लाना और फिर उसे प्रोसिंग यूनिट तक भेजने की जरूरत ही न पड़े।'
भारत के लिए यह खजाना क्यों है महत्वपूर्ण ?
भारत की ओर से खनीज के इस खजाने की खुदाई अभी शुरू नहीं हुई है, लेकिन इसके चलते चीन को बहुत बड़ी चपत लग सकती है। जैसे कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉक्टर माधवन नायर राजीवन कहते हैं, 'जैसे कि इलेक्ट्रिक वाहन विश्व के भविष्य हैं, कॉपर, निकल या कोबाल्ट के महत्त्व की कल्पना कीजिए। हमें पता है कि चीन का इनसब पर नियंत्रण है।' भारत इन सभी धातुओं का बहुत बड़ा आयातक है, इसलिए इस खजाने का महत्त्व उससे बेहतर कौन समझ सकता है। अगर ट्रेड मैप डेटा को देखें तो 2020 में भारत ने 5.4 लाख टन सिर्फ कॉपर का आयात किया था, जिसकी कीमत 89.7 करोड़ डॉलर है। India got a huge treasure in the sea, which is going to be a big loss to China.?)
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